
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा का मानना है कि क्रिकेट के सबसे छोटे प्रारूप में अपनाए गए निडर रवैये से टीम को कभी-कभार नाकामी ही हाथ लगती है। लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया कि टीम ने पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात यानी यूएई में खेले गए टी20 विश्वकप के दौरान रूढ़िवादी रवैया अपनाया था।
रोहित ने कहा कि नए दृष्टिकोण ने खिलाड़ियों को अधिक स्वतंत्रता दी है, जिससे निराशाजनक विश्वकप अभियान के बाद टीम को सफलता मिली है, जो भारत विश्वकप में दूसरे दौर में नहीं गया था।
अब तक हम रूढ़िवादी क्रिकेट नहीं खेल रहे थे
वेस्टइंडीज के खिलाफ पांच मैचों की T-20 सीरीज से पहले शर्मा ने कहा, ‘पिछले विश्वकप में हमें अनुकूल नतीजे नहीं मिले, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमने इतने सालों से खराब क्रिकेट खेला और मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि हम रूढ़िवादी क्रिकेट खेल रहेथे। अगर हम विश्वकप में एक दो मैच हार जाते हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि हमने मौकों का फायदा नहीं उठाया।
उन्होंने कहा, ‘अगर आप विश्वकप से पहले हमारे प्रदर्शन को देखें तो हमने लगभग 80 प्रतिशत मैच जीते। अगर हमने रूढ़िवादी-रुख अपनाया होता तो हम इतने मैच कैसे जीत पाते। यह सच है कि हम वर्ल्ड कप में हारे, लेकिन ऐसा होता है। इसका मतलब यह नहीं है कि हम खुलकर नहीं खेल रहे थे।
खिलाड़ियों को मिली आज़ादी से खेलने की आज़ादी
हिटमैन शर्मा ने कहा, ‘बाद में हमने कोई बदलाव नहीं किया। हम पहले की तरह खेल रहे थे, लेकिन खिलाड़ियों को अपना स्वाभाविक खेल-खेलने की ज्यादा आजादी दी गई। खुलकर खेलें एवं किसी भी तरह का अनावश्यक दबाव न लें। अगर आप खुलकर खेलते हैं तो यह आपके परफॉर्मेंस में नजर आएगा। रोहित ने कहा कि टीम इंडिया और उसके प्रशंसकों को ऐसे बदलावों के साथ आगे बढ़ना होगा।
उन्होंने कहा, ‘अभी हम जिस तरह की क्रिकेट खेल रहे हैं, उसमें कभी-कभार असफलताएं जरूर आती हैं, लेकिन यह ठीक है क्योंकि हम कुछ सीख रहे हैं और कुछ अलग करने की कोशिश कर रहे हैं।
हमारे खिलाड़ी खराब नहीं खेल रहे हैं
टीम इंडिया के कप्तान ने कहा, ‘इसमें गलतियों की गुंजाइश कम है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे खिलाड़ी–खराब खेल रहे हैं। इसका मतलब है कि हम कुछ नया करने की कोशिश कर रहे हैं। समय के साथ सभी को बदलना होगा और हम बदलाव ला रहे हैं और मुझे लगता है कि बाहर बैठे लोगों को भी अपनी सोच बदलने की जरूरत है।