
भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाना आसान नहीं है। यह कहानी कई सालों से नहीं बदली है। हर जगह के लिए मुकाबला बेहद ही कड़ा है। पिछले कुछ वर्षों में यह स्थिति और भी विकट हो गई है। हाल के वर्षों में जिस तरह से टीम इंडिया की बेंच-स्ट्रेंथ उभरी है, उससे हर खिलाड़ी को मौका मिलना संभव नहीं है। यह बात संजू सैमसन से बेहतर शायद ही कोई जानता हो, जिन्होंने अपना दर्द-बयां करते हुए माना है कि बार-बार मौके न मिलना मुश्किल रहा है।
7 साल में केवल 23 मैच
सैमसन इस समय भारतीय टीम के साथ जिम्बाब्वे दौरे पर हैं, जहां उन्हें तीनों मैचों में खेलने का मौका मिला है। बल्कि, उन्होंने साल 2015 में अपने डेब्यू से लेकर 2021 तक पिछले दो महीनों में उतने वनडे एवं टी20 नहीं खेले। अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की इस कहानी को मुश्किल बताते हुए सैमसन ने कहा है कि वह अब भी सकारात्मक रहना पसंद करते हैं। सैमसन ने 2015 में जिम्बाब्वे के दौरे पर T-20 फॉर्मेट में डेब्यू किया था। इसके बावजूद वह अब तक केवल 7 वनडे और 16 टी20 ही खेल पाए हैं।
‘सभी दोस्त खेलते हैं और आप नहीं…’
सीनियर खिलाड़ियों की सहूलियत की वजह से उन्हें हाल के दिनों में मौके मिले हैं। जिम्बाब्वे के खिलाफ आखिरी मैच से ठीक पहले संजू ने आधिकारिक प्रसारक से कहा,
“मैं इस बात में विश्वास करता हूं कि आपके–करियर में जो कुछ भी होता है, आपको इसे सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। यह बहुत मुश्किल है, यह निश्चित रूप से आपको परेशान करता है जब आप जानते हैं कि आपके सभी दोस्त खेल रहे हैं और आप नहीं हैं।”
संजू के करियर की इस स्थिति के लिए उनके प्रदर्शन की अनियमितता को अक्सर–दोषी ठहराया जाता है। हालांकि हाल के मैचों में उन्होंने अपने इस कमी को दूर किया है। उन्हें जिम्बाब्वे के खिलाफ दूसरे ODI मैच में 43 रनों की छोटी लेकिन मैच जीतने वाली पारी के लिए सम्मानित किया गया।
आयरलैंड से कैरिबियन के प्रशंसक
हालांकि छोटे करियर के बावजूद संजू सैमसन के चाहने वालों की कमी नहीं है। आयरलैंड से लेकर वेस्ट इंडीज को ये नजारा दिखाया गया और संजू खुद इस बात से हैरान हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि भारत के लिए बहुत कम खेलने के बावजूद मुझे अच्छे सपोर्ट मिल रहा है। मुझे लगता है कि 0यहां (दर्शकों के बीच) बहुत सारे मलयाली हैं क्योंकि मैं चेट्टा-चेट्टा (बड़ा भाई) सुनता हूं जिससे मुझे गर्व महसूस होता है।”