
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष सौरव गांगुली ने खुलासा किया कि महान बल्लेबाज क्रिकेटर राहुल द्रविड़ को भारतीय क्रिकेट का मुख्य कोच बनने के लिए राजी करना कितना मुश्किल था। दादा ने बताया कि राहुल द्रविड़ को मनाने के लिए उन्हें काफी मेहनत करनी पड़ी थी।
पत्रकार बोरिया मजूमदार के शो ‘बैकस्टेज विद बोरिया‘ में पूर्व कप्तान ने खुलासा किया कि राहुल द्रविड़ का नाम हमेशा उनके दिमाग में था और भारतीय बोर्ड सचिव जय शाह के दिमाग में लेकिन उन्हें समझाना एक मुश्किल काम था।
उन्होंने कहा, ‘राहुल द्रविड़ का नाम हमेशा हमारे दिमाग में रहता था। मैं और शाह दोनों इसके बारे में सोच रहे थे लेकिन राहुल इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे। चूंकि नेशनल टीम के साथ होने का मतलब है कि आपको आठ-नो महीने घर से दूर रहना होगा और द्रविड़ ऐसा नहीं चाहते थे। उसके दो छोटे बच्चे हैं और वह उनके साथ समय बिताना चाहता था।
दादा ने कहा, ‘एक समय ऐसा आया कि हमने उन्हें मनाना बंद कर दिया। उन्हें राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी, बैंगलोर का अध्यक्ष बनाया गया ताकि वे वहां चीजों को आगे ले जा सकें। इसके लिए हमने सारे इंटरव्यू और अन्य चीजें कीं। उनका साक्षात्कार भी हुआ और आवेदनों को देखा गया और फिर उन्हें एनसीए का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन उनकी नियुक्ति के बाद भी हम कोशिश करते रहे।
सौरव गांगुली ने कहा कि प्लेयर्स के साथ कई बातचीत में यह स्पष्ट हो गया कि हर कोई चाहता था कि वह टीम में शामिल हो।
उन्होंने कहा, ‘और जब हमने इस बारे में प्लेयर्स से बात की तो हमें साफ हो गया कि वह राहुल द्रविड़ की बात कर रहे हैं। इसलिए हमने इस बारे में द्रविड़ से दोबारा बात की। मैंने उनसे इस बारे में कई बार व्यक्तिगत रूप से बात की। मैंने उससे कहा, ‘मुझे पता है कि यह मुश्किल है, लेकिन 2 साल के लिए कोशिश करो, अगर आपको यह अधिक चुनौतीपूर्ण लगता है, तो हम कोई और रास्ता देखेंगे।’
पूर्व कप्तान ने आगे कहा, ‘सौभाग्य से वह मान गए और मुझे नहीं पता कि उनके दिमाग में ऐसा क्या ख्याल आया जिससे उन्हें यकीन हो गया और मुझे लगता है कि रवि शास्त्री के जाने के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड कोचिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ कर सकता था। ‘